प्रचार खिडकी

रविवार, 25 अप्रैल 2010

क्रिकेट पर एक ललित निंबंध (व्यंग्य )


ये बरसों की परंपरा रही है कि जो त्यौहार जो , नजदीक हो चलन में हो उसीपर अक्सर बच्चों से निबंध लिखने को कहा जाता है । और पिछले कुछ सालों में अब ये सिद्ध हो चुका है कि भारत का सबसे बडा और सदाबहार त्यौहार सिर्फ़ एक ही है क्रिकेट । सबसे अच्छी बात तो ये है कि आज देश का हर वर्ग , हर संप्रदाय और हरेक समूह इस त्यौहार को मनाने के लिए तत्पर रहते हैं । तो इसी के अनुसार इस बार बच्चों को परीक्षा में क्रिकेट पर एक ललित निबंध लिखने को कहा गया ।

बालक गुल्लीनंद सबसे होशियार और अपडेटेड बालकों में से एक था , सो सबसे पहले उसीने इसकी शुरूआत की । उसने शीर्षक को भलीभांति समझते हुए लिखा । क्रिकेट और ललित का साथ पिछले कुछ समय में बहुत ही प्रगाढ हो गया है । वैसे तो ललित का संबंध शुरूआत में कला के साथ हुआ करता था , जैसे ललित कला , मगर कालांतर में जब क्रिकेट में ही कलाकारी की तमाम गुण व्याप्त हो गए और इसीलिए विभिन्न कलाकार भी इससे जुड गए तो ऐसे में ललित भी क्रिकेट के काफ़ी नजदीक हो गए । इनके आने से क्रिकेट का मतलब ही बदल गया पूरी तरह से । जिस क्रिकेट में सिर्फ़ फ़िक्सिंग नामक व्यापार वाणिज्य का स्कोप दिखाई देता था उस क्रिकेट में सट्टेबाजी का बढता हुआ शेयर बाजार टाईप का उगते हुए सूरज समान संभावनाओं से भरा हुआ क्षेत्र खोल दिया ।

बालक बैटुकनाथ साथ में ताका झांकी कर रहे थे , कोहनी मार कर उन्हें बताया गया कि , गलत जा रहे हो गुल्ली , निंबंध की दिशा भटक रही है ललित पर नहीं क्रिकेट पर कंस्ट्रेट करो । गुल्ली ने कलम का स्टेयरिंग मोडा और क्रिकेट ड्राईव की ओर चले । क्रिकेट में अब पहले वाला ब्लैक एंड व्हाईट इफ़्फ़ेक्ट नहीं रहा है , सबकी ड्रेस भी रंगीन हो गई है । इतना ही नहीं बौलीवुड की सारी रंगीनी भी सिमट के इसमें आ गई है । आज क्रिकेट में कौन नहीं है , प्रीती जिंटा, शिल्पा शेट्टी, सुनंदा पुष्कर , शाहरूख खान और भी कई सारे अभिनेता अभिनेत्री हैं । और इतना ही नहीं , खिलाडी भी अब खिलाडी नहीं मौडल हो गए हैं ,चाहे किसी की फ़िटनेस खेलने लायक हो या न हो , मगर विज्ञापन के लिए वे हमेशा ही फ़िट रहते हैं ।बालक बैटुकनाथ की कुहनी फ़िर चलती है ।

  आज क्रिकेट में करोडों अरबों का मुनाफ़ा हो रहा है । पहले ये खेल सीज़नल होता था , मगर अब जबकि सीज़न का ही कोई खुद का सीज़न नहीं रहा ( आखिर कौन सा सीज़न अब समय पर आता जाता दिखता है ) तो ऐसे में क्रिकेट ही क्यों बंधा रहता । इसलिए चौबीस गुना सात की तर्ज़ पर बार बार लगातार एक ही चमत्कार के लिए क्रिकेट को बाय डिफ़ाल्ट गेम बना दिया गया है । पहले खेलों के माध्यम से सिर्फ़ खिलाडियों को उनकी फ़ीस या ज्यादा से ज्यादा थोडा आऊट इनकम को ध्यान में रखते हुए वे बेचारे मैच फ़िक्सिंग से कुछ कमा धमा लिया करते थे । मगर बदले हुए समय में अब ये सिर्फ़ खिलाडियों तक सीमित नहीं रहा है । आज अल्प वयस्क बच्चे तक सट्टे लगा लगा कर इस खेल से पैसे कमाने के मौलिक सूत्र को अपना रहे हैं । यदि सरकार सट्टेबाजी को वैधानिक दर्ज़ा देकर उस पर टैक्स वसूले तो गरीबी दूर करने में ये बहुत सहायक हो सकती है । बैटुकनाथ जी की कुहनी ...।

हुंह ...अब क्या ..बालक गुल्ली फ़ायनली लिखते हुए निबंध को समाप्त करते हैं कि , क्रिकेट का खेल भी इन सारे उपर वर्णित कार्यक्रमों के बीच ही कभी कभी खेला जाता है जिसे लोग अब हौकी , फ़ुटबाल , से ज्यादा पसंद करते हैं , मगर जाने क्यों अब तक बच्चों को यही पढाया जा रहा है कि हाकी राष्ट्रीय खेल है जबकि उसमें तो एक भी गुण नहीं पाए जाते हैं ॥

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मेहनत और अच्छी सोच से उपजी विवेचना के लिए धन्यवाद / ब्लॉग एक समानांतर मिडिया के रूप में उभर कर देश और समाज में बदलाव लाने का सशक्त माध्यम बन सकता है / बस जरूरत है एकजुटता और सच्ची लगन के साथ ब्लोगरों की भागीदारी की / इस बारे में आपका क्या ख्याल है लिखियेगा / हमारे द्वारा एक विचार और सुझाव का अभियान चलाया जा रहा है / जिसमे उम्दा विचारों को सम्मानित करने का भी हमने व्यवस्था कर रखा है / आशा है देश हित के इस अभियान में आप अपना विचार जरूर रखेंगे / आप इस http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.htmlपोस्ट के पते को कॉपी कर सर्च बॉक्स में पेस्ट कर उस पोस्ट पर पहुच सकते है जिसके टिपण्णी बॉक्स में आपको अपने विचार लिखने हैं /

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  2. are bhaia kahe gareeb-gurbaran ke peechhe pad gaye aap bhi?? bichara pahile hi diwaliya aadmi hai ab kahe aur takleef de rahe hain.. ;)

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  3. रद्धी की टोकरी में एक कबार. भाई वाह.
    मजा आ गया पढ़कर. बहुत ही सुन्दर व्यंग.
    शुरु से अंत तक श्ब्दों ने बिल्कुल बांधे रखा.

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  4. हॉकी बेचारा "राष्ट्रीय" खेल है तभी तो उसकी ये दुर्दशा हुई है कि खिलाड़ी कटोरा लेकर घूम रहे है !

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  5. बहुत करारा...ललित फोटो/ललित निबंध-हा हा!

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  6. बहुत सुन्दर व्यंग. मजा आ गया, हमे तो वेसे ही इस गोरो के खेल से नफ़रत है जी.
    धन्यवाद

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  7. क्या लिखा है महोदय बहुत खुब. लगे रहो...

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  8. एक बच्चे को परीक्षा मे क्रिकेट पर निबन्ध लिखना था .. तीन पन्ने कोरे छोड़ने के बाद उसने लिखा " आज बारिश के कारण खेल नहीं हो सका । "

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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